फरीदाबाद, 10 दिसंबर । क्रोहन और अल्सरेटिव कोलाइटिस जैसे सूजन आंत्र रोग (आईबीडी) तेजी से बढ़ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि पेट में होने वाली लगातार सूजन या आंतों से संबंधित समस्याओं को हल्के में लेना आगे चलकर गंभीर रूप ले सकता है। इसी को ध्यान में रखते हुए ग्रेटर फरीदाबाद सेक्टर-86 स्थित एकॉर्ड अस्पताल के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के चेयरमैन डॉ. रामचंद्र सोनी ने जागरूकता सप्ताह के दौरान लोगों को बीमारी के कारण, लक्षण और बचाव के उपायों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
डॉ. सोनी ने बताया कि हर साल 1 से 7 दिसंबर तक क्रोहन और अल्सरेटिव कोलाइटिस जागरूकता सप्ताह मनाया जाता है, ताकि लोगों तक यह संदेश पहुंचे कि आंतों की सूजन कोई सामान्य समस्या नहीं है। भारत में करीब 10 से 12 लाख सक्रिय मरीज हैं और बड़े शहरों में हर महीने 25 से 40 नए मामले सामने आते हैं। यदि लक्षणों को अनदेखा किया जाए तो यह बीमारी लंबे समय तक परेशान कर सकती है।
उन्होंने बताया कि इस बीमारी का मुख्य कारण इम्यून सिस्टम की गड़बड़ी, अनुवांशिक कारण, गलत खानपान, तनाव और आंतों में बैक्टीरिया का असंतुलन है। फास्ट फूड की बढ़ती आदत और अनियमित जीवनशैली भी बीमारी को बढ़ावा दे रहे हैं। लक्षणों में लगातार पेट दर्द, दस्त या खूनी दस्त, वजन घटना, कमजोरी और बुखार प्रमुख हैं। बच्चों में विकास रुकना भी इसका संकेत हो सकता है।
डॉ. सोनी ने कहा कि समय पर एंडोस्कोपी, खून की जांच और संबंधित परीक्षणों से बीमारी की सही पहचान हो जाती है। इलाज में दवाइयाँ, बायोलॉजिकल थेरेपी, विशेष डाइट और गंभीर मामलों में सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है। उनके अनुसार सही समय पर जाँच और इलाज से अधिकतर मरीज पूरी तरह सामान्य जीवन जी सकते हैं।
उन्होंने लोगों से अपील की कि पेट से संबंधित तकलीफों को नजरअंदाज न करें और जरूरत पड़ने पर गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट से सलाह जरूर लें। समय पर ध्यान देना ही इस बीमारी से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है।
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