मानव रचना में दीक्षारंभ 2025: वैश्विक कार्यक्रमों और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप भविष्य-केंद्रित शैक्षणिक यात्रा की शुरुआत

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मानव रचना में दीक्षारंभ 2025: वैश्विक कार्यक्रमों और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप भविष्य-केंद्रित शैक्षणिक यात्रा की शुरुआत
फरीदाबाद, 30 जुलाई 2025: मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज (MRIIRS) ने अपने वार्षिक ओरिएंटेशन कार्यक्रम ‘दीक्षारंभ 2025’ का शुभारंभ किया, जो मूल्यों-आधारित और भविष्य-केंद्रित अकादमिक यात्रा की शुरुआत का प्रतीक है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और विकसित भारत की परिकल्पना से प्रेरित इस कार्यक्रम में वैश्विक शैक्षणिक सहयोग और नवीन युग के पाठ्यक्रमों को प्रस्तुत किया गया, जो छात्रों को बदलते समय की मांगों के अनुरूप तैयार करते हैं। इस अवसर पर एआईसीटीई के चेयरमैन प्रो. (डॉ.) टी.जी. सीतारम ने विशेष संबोधन दिया।
विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए प्रो. सीतारम ने भारत में उच्च शिक्षा की दिशा और विकास पर महत्वपूर्ण बातें साझा कीं। उन्होंने कहा, “स्वतंत्रता के समय भारत में उच्च शिक्षा का सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrolment Ratio – GER) मात्र 1% था। आज यह बढ़कर 29% तक पहुंच चुका है, जिसमें 4.5 करोड़ से अधिक विद्यार्थी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में नामांकित हैं। अगले 10 वर्षों में यह आंकड़ा 9 करोड़ तक पहुंच जाएगा।” उन्होंने बताया कि यह विस्तार केवल आकार में नहीं, बल्कि शिक्षा तक पहुंच, संरचनात्मक सहजता और उद्देश्य की स्पष्टता में भी एक बड़े बदलाव को दर्शाता है।
इस वर्ष के ओरिएंटेशन में शैक्षणिक सत्र 2025–26 के लिए आरंभ किए गए अनेक नवाचारपूर्ण कोर्सेस और वैश्विक साझेदारियों को भी प्रस्तुत किया गया। इनमें बी.टेक (ऑनर्स) इन इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विद स्पेशलाइज़ेशन इन सेमीकंडक्टर डिज़ाइन और डिफेंस टेक्नोलॉजी, बी.कॉम (ऑनर्स) इन फिनटेक इन कोलैबोरेशन विद डेलॉइट और ज़ेल एजुकेशन, तथा एमबीए इन बिज़नेस इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स विद एसएएस जैसे कार्यक्रम शामिल हैं। विश्वविद्यालय ने एम.ए./एम.फिल इन क्लिनिकल साइकोलॉजी और पर्ड्यू यूनिवर्सिटी नॉर्थवेस्ट, क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी लंदन, केज बिजनेस स्कूल (फ्रांस) और एचटीएमआई स्विट्ज़रलैंड जैसे संस्थानों के साथ अंतरराष्ट्रीय डुअल-डिग्री व पाथवे कार्यक्रम भी आरंभ किए हैं।
प्रो. सीतारम ने एआईसीटीई और शिक्षा मंत्रालय की प्रमुख पहलों की जानकारी भी दी, जिनमें अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट और एक विशेष एपीएआर आईडी शामिल है, जो बालवाटिका से पीएचडी तक प्रत्येक विद्यार्थी को प्रदान की जाएगी। उन्होंने बताया, “नेशनल इंटर्नशिप पोर्टल पर 75,000 से अधिक कंपनियां उपलब्ध हैं, जिसमें 2 करोड़ से अधिक पंजीकृत उपयोगकर्ता हैं। इसके अलावा NEAT जैसे प्लेटफॉर्म्स पर 480 से अधिक स्किल कोर्सेस उपलब्ध हैं।” उन्होंने एआईसीटीई करियर पोर्टल का भी उल्लेख किया, जो विद्यार्थियों को 7 लाख से अधिक नियोक्ताओं से जोड़ता है। साथ ही उन्होंने छात्रों को प्रोडक्टाइजेशन फेलोशिप का लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया, जिसके अंतर्गत एक वर्ष तक ₹37,000 से ₹40,000 प्रति माह की आर्थिक सहायता दी जाती है, जिससे विद्यार्थी अपने उत्पादों को विकसित और लॉन्च कर सकें।
डॉ. प्रशांत भल्ला, अध्यक्ष, एमआरईआई ने कहा, “यह विद्यार्थियों के लिए उनके शैक्षणिक जीवन की एक निर्णायक शुरुआत है। मानव रचना में हमारा उद्देश्य उन्हें मजबूत शैक्षणिक आधार देने के साथ-साथ उन्हें परिवर्तन के दौर को आत्मविश्वास से अपनाने का दृष्टिकोण भी प्रदान करना है।”
डॉ. अमित भल्ला, उपाध्यक्ष, एमआरईआई ने कहा, “हम इस बात के लिए प्रतिबद्ध हैं कि विद्यार्थी सिर्फ अकादमिक रूप से नहीं, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र के लिए तैयार हों। हमारी शैक्षणिक सोच में ज्ञान, नवाचार, मूल्यों और जीवन-कौशल का समावेश है, जो विद्यार्थियों को भविष्य के लिए सक्षम बनाता है।”
डॉ. संजय श्रीवास्तव, कुलपति, एमआरआईआईआरएस ने कहा, “हम अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद की दृष्टि के साथ पूर्ण रूप से समन्वित हैं और अपनी सभी शैक्षणिक धाराओं में उत्कृष्टता के लिए प्रयासरत हैं। हमारे प्रयास उच्च प्रत्यायन, वैश्विक सहयोग और विद्यार्थियों को आज के समय के अनुरूप कौशल व मूल्य प्रदान करने पर केंद्रित हैं।”
प्रो. सीतारम ने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे पारंपरिक पढ़ाई की सीमाओं से आगे बढ़कर शिक्षा को एक परिवर्तनकारी अनुभव के रूप में अपनाएं। उन्होंने कहा, “आप अगले चार वर्षों में कक्षा के बाहर जो कुछ भी सीखते हैं, वही आपकी सफलता को परिभाषित करेगा। दीक्षारंभ केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं है, यह ज्ञान, नवाचार और राष्ट्रनिर्माण की कालातीत यात्रा की आत्मिक शुरुआत है।” उन्होंने यह भी कहा कि आज के बदलते दौर में केवल डिग्री नहीं, बल्कि कौशल, मूल्य और अनुकूलन क्षमता ही भविष्य की पहचान बनती जा रही है।

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