भारत में माल परिवहन को नई दिशा देते हुए, एल्सटॉम और भारतीय रेलवे ने मनाया एमईएलपीएल के दस वर्ष पूरे होने का जश्न

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  • ‘विकास के दशक’ का जश्न: लोकलाइजेशन, इनोवेशन और सस्टेनेबल फ्रेट में दस साल की बड़ी उपलब्धियाँ
  • ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ का मजबूत इंजन: गहरी लोकल सप्लाई चेन तैयार और 10,000 से ज्यादा स्किल्ड जॉब्स
    मधेपुरा , नवंबर 2025 : स्मार्ट और सस्टेनेबल मोबिलिटी में ग्लोबल लीडर, एल्सटॉम ने आज मधेपुरा इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव प्राइवेट लिमिटेड (एमईएलपीएल) के 10 सफल वर्षों का जश्न मनाया। यह भारतीय रेलवे के साथ कंपनी की पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप है, जो माल परिवहन के लिए भारत के सबसे शक्तिशाली इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव बनाने पर केंद्रित है। इस जॉइंट वेंचर के तहत अब तक 12,000 हॉर्सपावर (9 मेगावॉट) क्षमता वाले 550 से अधिक स्वदेशी, हाई-पॉवर्ड, डबल-सेक्शन प्राइमा टी8 लोकोमोटिव्स डिलीवर किए जा चुके हैं। यह उपलब्धि उत्तर प्रदेश के सहारनपुर स्थित अत्याधुनिक लोकोमोटिव मेंटेनेंस डिपो में मनाई गई।
    ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लिए एक मजबूत इंजन
    वर्ष 2015 में भारतीय रेलवे ने कंपनी के साथ 3.5 बिलियन यूरो का एक महत्वपूर्ण कॉन्ट्रैक्ट किया था, जिसके तहत कंपनी को 12,000 एचपी की क्षमता वाले 800 पूरी तरह इलेक्ट्रिक, सुपर-पॉवर्ड, डबल-सेक्शन लोकोमोटिव्स सप्लाई करने थे, जिनमें लगभग 6000 टन तक का लोड खींचने की क्षमता हो। इसके साथ ही कंपनी को 13 वर्षों तक इन लोकोमोटिव्स के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी। भारतीय रेलवे द्वारा इन लोकोमोटिव्स को डब्ल्यूएजी-12बी नाम दिया गया, जो कि बिहार के मधेपुरा में बने देश के सबसे बड़े ग्रीनफील्ड मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स में से एक में तैयार किए जाते हैं। ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहलों के तहत, एल्सटॉम ने बेहतर गति से आगे बढ़ते हुए 85% से अधिक स्थानीयकरण अपनाया है, जिससे देश की मैन्युफैक्चरिंग क्षमता और मजबूत हुई है, और भारत दुनिया का छठा देश बना है, जिसने इतने शक्तिशाली लोको अपने ही देश में बनाए हैं।
    दस वर्षों की इस यात्रा को याद करते हुए, एल्सटॉम इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर, ओलिवियर लॉइसन ने कहा, “यह हमारे लिए बेहद गर्व का क्षण है, क्योंकि हम एक ऐसी मजबूत और दीर्घकालिक साझेदारी का जश्न मना रहे हैं, जिसने भारत में परिवहन परिदृश्य को सच में बदलकर रख दिया है। हमने न सिर्फ देश के सबसे शक्तिशाली फ्रेट लोको ट्रैक्स पर उतारे हैं, बल्कि एक विश्वस्तरीय इंडस्ट्रियल सिस्टम भी बनाया है और स्थानीय प्रतिभा और टेक्नोलॉजी की मजबूत नींव भी रखी है। यह प्रोजेक्ट ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहलों के लिए एक मजबूत इंजन साबित हुआ है, जिसमें गहरी लोकल सप्लाई चेन बनी है और 10,000 से ज्यादा स्किल्ड जॉब्स तैयार हुई हैं। अब हमारी प्रतिबद्धता पहले से भी ज्यादा मजबूत है कि हम इस शानदार विरासत को आगे बढ़ाएँ, ग्रीन लॉजिस्टिक्स की दिशा में काम करें और भारत को विश्वस्तरीय रेल समाधानों का वैश्विक केंद्र बनाने की यात्रा में लगातार योगदान देते रहें।”
    मई 2020 में पहला ई-लोको कमर्शियल सर्विस में शामिल किया गया था और अक्टूबर 2020 तक रेलवे मंत्रालय और कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी/आरडीएसओ ने इन ई-लोको को 120 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम स्पीड पर चलाने की अनुमति दे दी थी। इस वर्ष, बढ़ती माँग को देखते हुए त्यौहारों के पीक सीजन में इन लोको को यात्री ट्रेनें चलाने के लिए भी इस्तेमाल किया गया।
    उपलब्धता ज्यादा रखने और मेंटेनेंस लागत कम करने के लिए, एल्सटॉम ने सहारनपुर और नागपुर में दो अल्ट्रा-मॉडर्न, अत्याधुनिक मेंटेनेंस डिपो भी बनाए हैं, जहाँ प्रेडिक्टिव टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है। इन डिपो से देशभर में प्रॉम्प्ट रिस्पॉन्स टीम्स (पीआरटी) भी भेजी जाती हैं, जिनमें ट्रेन किए हुए लोग शामिल हैं, जो जरूरी टूल्स और अहम स्पेयर्स के साथ हमेशा तैयार रहते हैं।
    अब तक नागपुर, सहारनपुर और साबरमती में 22,000 से ज्यादा भारतीय रेलवे कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है।
    विश्वस्तरीय मैन्युफैक्चरिंग और मजबूत तकनीकी क्षमता
    कॉन्ट्रैक्ट के तहत, बिहार के मधेपुरा में देश के सबसे बड़े इंटीग्रेटेड ग्रीनफील्ड मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स में से एक स्थापित किया गया है, जो कि 250 एकड़ में फैला हुआ है। 120 लोकोमोटिव्स प्रति वर्ष की क्षमता वाला यह औद्योगिक केंद्र सुरक्षा और गुणवत्ता के अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर खरा उतरता है। इंसुलेटेड गेट बायपोलर ट्रांजिस्टर (आईजीबीटी) आधारित प्रोपल्शन तकनीक से लैस डब्ल्यूएजी-12बी में रीजनरेटिव ब्रेकिंग है, जिससे ऊर्जा की खपत कम होती है। इसके अलावा, इस ई-लोको के साथ एल्सटॉम ऐसे फ्रेट ट्रेनों को बढ़ावा दे रहा है, जो कम गर्मी और कम ट्रैक्शन नॉइज़ उत्पन्न करती हैं। 1676 मिमी ब्रॉड गेज पर बने ये ई-लोको को इस प्रकार डिज़ाइन किया गया है कि ये तेज़ रफ्तार में भी तीखे मोड़ों को आसानी से पार कर सकें।

एल्सटॉम के बेंगलुरु इंजीनियरिंग सेंटर में डिज़ाइन किए गए ये ई-लोको आठ-एक्सल डिज़ाइन पर आधारित हैं, जो लोकोमोटिव की परफॉर्मेंस को और बेहतर बनाते हैं। प्राइमा टी8 तकनीक की वजह से ये लोकोमोटिव -50°C से 50°C तक के बेहद गर्म या ठंडे तापमान में भी आराम से काम कर पाते हैं। इसके साथ, एल्सटॉम ने भारतीय फ्रेट ट्रेनों में कई नई सुविधाएँ जोड़ी हैं, जैसे- क्लाइमेट कंट्रोल सिस्टम, एयर कंडीशनर, खाना रखने और तैयारी करने की सुविधा और टॉयलेट्स। डब्ल्यूएजी-12बी ई-लोको में पायलट्स के लिए ज्यादा स्पेस वाले कैबिन भी दिए गए हैं, ताकि वे आराम से काम कर सकें।

सामाजिक और आर्थिक असर
भारतीय रेलवे के साथ एल्सटॉम की इस साझेदारी से कई राज्यों में 10,000 से ज्यादा लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार मिला है। साथ ही स्थानीय लोगों को समर्थन देने के लिए, एल्सटॉम मधेपुरा और सहारनपुर के आसपास के 21 गाँवों में शिक्षा, स्वास्थ्य, महिलाओं के सशक्तिकरण और कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में लगातार निवेश कर रहा है। कंपनी ने अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन (एआईएफ), सीड्स इम्पैक्ट और लर्निंग लिंक फाउंडेशन (एलएलएफ) के साथ मिलकर कई पहलें शुरू की हैं, जिनसे अब तक 30,000 से ज्यादा लोगों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
एल्सटॉम पिछले 100 वर्षों से भारत की प्रगति में योगदान दे रहा है। भारत में एक अग्रणी मल्टीनेशनल सस्टेनेबल मोबिलिटी प्रोवाइडर के रूप में, एल्सटॉम ग्राहकों की जरूरतों के हिसाब से किफायती प्लेटफॉर्म से लेकर हाई-एंड तकनीकी समाधान तक की पूरी रेंज उपलब्ध कराता है। देश के ‘रेल रेवोल्यूशन’ का पर्याय बन चुका एल्सटॉम, भारत में परिवहन क्षेत्र में क्राँति लाने और यात्री सेवाओं को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण साझेदार बना हुआ है।

एल्सटॉम-टीएम और प्राइमा टी8-टीएम एल्सटॉम ग्रुप के संरक्षित ट्रेडमार्क्स हैं।

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